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आर्कडायसिस के नये आर्चबिशप बने विन्सेंट आईन्द.

बिशप विंसेंट आइंद का जन्म 30 जनवरी 1955 को कालचीनी में हुआ था। पश्चिम बंगाल में मॉर्निंग स्टार रीजनल सेमिनरी के दर्शनशास्त्र संकाय के डीन के रूप में कार्य करते हुए उन्हें बिशप बनाया गया था।वह सेंट जोसेफ कॉलेज, दार्जिलिंग से अर्थशास्त्र में स्नातक और उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर हैं। उन्होंने सेंट जोसेफ सेमिनरी मैंगलोर में धर्मशास्त्र का अध्ययन किया और बाद में रोम के ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। 1984 में जलपाईगुड़ी सूबा के लिए एक पुजारी नियुक्त होने के बाद, उन्होंने प्रोफेसर, आध्यात्मिक निदेशक और मॉर्निंग स्टार रीजनल सेमिनरी के रेक्टर के रूप में काम करने के अलावा सहायक पैरिश पुजारी, पैरिश पुजारी के रूप में विभिन्न क्षमताओं में सेवा की। 2007 से वह एक सलाहकार और आर्थिक मामलों के लिए डायोसेसन काउंसिल के सदस्य और पश्चिम बंगाल के क्षेत्रीय एपिस्कोपल सम्मेलन के पादरी, धार्मिक और सेमिनारियों के आयोग के सचिव हैं। वह एसोसिएशन ऑफ क्रिश्चियन फिलॉसफर्स ऑफ इंडिया (एसीपीआई) की कार्यकारी समिति और संपादकीय टीम के सदस्य भी हैं। आदिवासी आर्चबिशप समय की मांग थी जिसे पोप ने पुरा किया - रतन तिर्की | पूर्व सदस्य टीएसी रतन तिर्की ने बिशप विन्सेंट आईन्द को रांची आर्कडायसिस का नये आर्चबिशप नियुक्त किये जाने पर पोप को धन्यवाद और बधाई दिया है। रतन तिर्की ने कहा है कि झारखंड में आदिवासी आर्चबिशप की मांग ईसाई आदिवासियों की मांग रही थी। इसलिए कि झारखंड आदिवासी बहुल क्षेत्र है और ऐसे में आदिवासी आर्चबिशप विन्सेंट आईन्द आदिवासियों की भावना भाषा रहन सहन को भली-भांति जानते हैं और परिचित भी हैं। रतन तिर्की ने कहा कि आर्चबिशप विन्सेंट आईन्द के रांची आर्चबिशप के रूप में आना एक सुखद संदेश है। उन्होंने कहा कि पूर्व आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो ने भी अपने कार्यकाल को समाज हित में भलीभांति पुरा किया। रतन तिर्की ने आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो के स्वास्थ्य की कामना करते हुए उन्हें धन्यवाद आभार व्यक्त किया है।