जब तक संस्कारों में क्रांति नहीं होगी तब तक युवकों के विचारों और कर्मों में क्रांति नहीं हो सकती : ब्रह्ममाकुमारी निर्मला बहन
युवा दिवस की पूर्व संध्या पर कार्यक्रम
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय शाखा चौधरी बगान हरमू रोड रॉची
में युवा दिवस के पूर्व संध्या के अवसर पर ब्रह्ममाकुमारी निर्मला बहन ने अपने संदेश में कहा कि जब
तक संस्कारों में क्रांति नहीं होगी तब तक युवकों के विचारों और कर्मों में क्रांति नहीं हो सकती।
आम लोगों की यह मान्यता है कि संस्कार परिवर्तन असम्भव है। किन्तु यह मान्यता गलत है।
संस्कार परिवर्तन का उपाय मानव आज तक ढूंढ नहीं सका यही कारण है कि चरित्रहीनता बढ़ती
गई। अब यह जानना जरूरी है कि संस्कार है क्या चीज। इस विषय में विभिन्न मत-मान्यताएँ है।
संस्कार का प्रभाव मनुष्य के मन और बुद्धि पर पड़ता है। ये प्रभाव केवल एक जन्म के कर्मों के नहीं
होते बल्कि अनेक जन्मों के कर्मों के होते हैं। मृत्यु के पश्चात् भी अविनाशी आत्मा में ये संस्कार
संग्रहित होते हैं। इन्हीं संस्कारों के आधार पर मनुष्य का दृष्टिकोण, विचार शैली, रूचि, रूझान,
मनोवृत्ति बनती है। वास्तव में सारा व्यक्तित्व संस्कारों पर आधारित है।
उन्होंने कहा कि हमारी शुभेच्छा यही है कि पुराना युवक बदल कर नया युवक बन जाय।
दुर्गुणों की बदबू सद्गुणों की खुशबू में बदल जाये। पुराने संस्कार नया बनाना ही पुराना से नया
बनाना है जिसकी खुशबू पाकर समाज, राष्ट्र व विश्व अति ही खुशनुमा बन जाये। युवक का स्वभाव,
दृष्टिकोण, विचारधारा ऐसी बदले जिससे समाज राष्ट्र और विश्व को लाभ पहुँचे। युवक को ना केवल
शारीरिक शक्ति बल्कि उससे कहीं ज्यादा आत्मिक शक्ति व आत्मबल की निहायत जरूरी है।
शारीरिक शक्ति बढ़ाने के लिए उसके पास कई साधन उपलब्ध है और महसूस भी करता है कि
शारीरिक बल होना भी चाहिए किन्तु आत्मबल क्या चीज है शायद वह जानता ही नहीं। उसे यह
नहीं मालुम कि आत्म बल शरीर बल से अति श्रेष्ठ है।
श्रेष्ठ विचार और श्रेष्ठ कर्म ही सच्चरित्रता के लक्षण है और सच्चरित्रता ही राष्ट्र व समाज की
पूँजी है। वर्तमान में युवक को सजग और सतर्क रहना होगा कि सर्व महंगाई का कारण है "चरित्र
की मंहगाई'। चरित्र की मंहगाई को युवक को पहले दूर करनी है। तत्पश्चात् ही सर्व मंहगाई स्वतः
दूर हो सकती है और सुखी समाज की स्थापना हो सकती है।